क्या नाम बदलने से गुड़गांव की यानि अब के गुरुग्राम की सीरत भी बदल जाएगी? हरियाणा सरकार ने गुरूग्राम में मानसून के समय आने वाली बाढ़ से बचने के लिए 177. 21 करोड़ रुपए, 177 नई योजनाओं के लिए दिया है. उम्मीद है इस बार कुछ बेहतर हो जाए. मगर हर बार गुरूग्राम को बाढ़ से बचाने के लिए करोड़ों खर्च किए जाते हैं. करदाताओं के पैसे को यूंही बहाया जाता है और परिणाम महाजाम के रूप में पूरे दुनिया को दिखाई देता है.
मगर यहां प्रश्न यह भी है कि जब पिछले वर्ष पूरी दुनिया ने गुड़गांव के महाजाम को देखा तब इतने महीने क्यों लग गए? अभी मानसून आने में ज्यादा वक्त नहीं बचा और इस कम अवधि में 177 नई योजनाओं को अपने अंजाम तक कैसे पहुंचाया जाएगा, यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है?
बैलेटबॉक्सइंडिया काफी अरसे से गुड़गांव के ड्रेनेज सिस्टम और नदियों-तालाबों के ऊपर रिसर्च कर रही है. हमें इस दौरान कुछ ऐसा खास नहीं लगा जो यहां कि स्थिति को बदलने के लिए किया गया हो. गुरूग्राम में जिस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग किया गया, बने बनाये संसाधनों को जिस तरह से बर्बाद किया गया उससे आने वाले समय में परिणाम और भी बुरे हो सकते हैं.
इन नई योजनाओं पर काम करने की जरूरत तो है मगर हमें यह भी तय करना होगा कि प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ अब बंद किया जाए. हमने प्राकृतिक तौर से निर्मित नालों को पूर्णता नष्ट कर दिया, तलाबों-झीलों को बर्बाद कर दिया. अब हाल यह है कि जहां गर्मियों में गुरूग्राम में पानी की बेतहाशा कमी होती है तो वही मानसून के समय बाढ़ से पूरा जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. कहने के लिए तो गुरुग्राम हरियाणा की आर्थिक राजधानी है मगर जिस तरह से यहां अर्थ तंत्र को तवज्जों दी गई और प्राकृतिक संसाधनों को नजरअंदाज किया गया उससे यही कहा जा सकता है कि आप बड़ी बड़ी बिल्डिंग तो बना लेंगे मगर आपका शहर एक कंक्रीट के जंगल के अलावा कुछ और नहीं बन पाएगा. उम्मीद है की आने वाला मानसून इस बार गुरूग्राम के लिए कुछ अच्छा लेकर आए.